Crying Benefits: हंसने के ही नहीं रोने के भी हैं ढेरों लाभ, जानकर हो जायेंगे हैरान

स्वस्थ्य के लिए हमारे जीवन में सुख-दुख का दौर चलता रहता है। कभी हम खुशी के आँसू छलकाते हैं, तो कभी दुःख में डूब कर रो पड़ते हैं। अक्सर समाज में रोने को कमजोरी की निशानी माना जाता है, खासकर पुरुषों के लिए। मगर क्या आप जानते हैं कि विज्ञान रोने को कमजोरी नहीं, बल्कि शरीर की एक प्राकृतिक प्रक्रिया मानता है? जी हाँ, रोने के कई फायदे हैं जो हमारी मानसिक और शारीरिक सेहत को बेहतर बनाते हैं। आइए, आज हम आँसूओं के विज्ञान को थोड़ा गहराई से समझते हैं_

रोने का मनोवैज्ञानिक महत्व

जब हम किसी भावुक परिस्थिति से गुजरते हैं, चाहे वह खुशी हो या ग़म, तो हमारा शरीर कई तरह के हार्मोन्स रिलीज़ करता है। इनमें से एक मुख्य हार्मोन है – कॉर्टिसोल। यह हार्मोन तनाव की स्थिति में शरीर द्वारा उत्पन्न होता है। जब हम रोते हैं, तो हमारे आँसूओं के साथ यह कॉर्टिसोल भी बाहर निकल जाता है। इस तरह रोना हमारे शरीर के लिए एक प्राकृतिक प्रेशर रिलीज़ की तरह काम करता है। तनाव कम होने से हमारा मन शांत होता है और हमें राहत मिलती है।
इसके अलावा, रोने से दबी हुई भावनाओं को बाहर निकालने में भी मदद मिलती है।कई बार हम गुस्से में, उदास में या किसी भी बुरे अनुभव के बाद अपने मन की बात किसी को बता नहीं पाते। ऐसे में रोना हमारे लिए एक आउटलेट की तरह काम करता है. दबी हुई भावनाओं को बाहर निकालने से हमें अपने इमोशन्स को समझने और उनसे बेहतर तरीके से निपटने में मदद मिलती है। नतीजतन, हमारा मानसिक स्वास्थ्य बेहतर रहता है।

रोने का शारीरिक महत्व

कई शोधों में पाया गया है कि रोने के फायदे सिर्फ मानसिक स्वास्थ्य तक ही सीमित नहीं हैं, बल्कि यह हमारे शारीरिक स्वास्थ्य को भी बेहतर बनाता है। आपको जानकर हैरानी होगी कि हमारे आँसू सिर्फ पानी नहीं होते, बल्कि उनमें कई तरह के केमिकल तत्व भी पाए जाते हैं।

आँखों की सुरक्षा: हमारे आँसूओं में लाइजोसाइम (Lysozyme) नामक एक एंजाइम होता है। यह एंजाइम आंखों में किसी भी तरह के संक्रमण पैदा करने वाले बैक्टीरिया को खत्म करने में मदद करता है। साथ ही, जब हम रोते हैं तो आँसू तेजी से निकलते हैं, जो धूल, मिट्टी या किसी भी तरह की गंदगी को आँखों से बाहर निकालने में मदद करते हैं। इस तरह रोना आँखों को साफ रखने और संक्रमण से बचाने का एक प्राकृतिक तरीका है।

दर्द से राहत: जब हमें चोट लगती है या बहुत तेज दर्द होता है, तो अक्सर हम रो पड़ते हैं। दरअसल, हमारे आँसूओं में एंडोर्फिन (Endorphin) और ऑक्सीटोसिन (Oxytocin) नामक तत्व पाए जाते हैं। ये दोनों ही तत्व प्राकृतिक दर्द निवारक की तरह काम करते हैं. यही वजह है कि रोने से हमें थोड़ी देर के लिए दर्द से राहत मिलती है।

वजन कम करने में सहायक: शायद आपको यह जानकर हैरानगी होगी कि रोने से कैलोरी भी बर्न होती है। हालांकि, यह मात्रा बहुत कम होती है और वजन कम करने के लिए सिर्फ रोने पर निर्भर रहना सही नहीं है। लेकिन हाँ, रोने से शरीर की थोड़ी सी ऊर्जा खर्च होती है, जिसे कैलोरी बर्न करने के रूप में देखा जा सकता है।

कब रोना जरूरी है और कब नहीं?

अब तक हमने रोने के फायदों के बारे में जाना। लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि हर परिस्थिति में रोना ही फायदेमंद है। कभी-कभी बहुत ज्यादा रोना या हर छोटी-छोटी बात पर रोना उल्टा हमें कमजोर बना सकता है। तो आइए समझते हैं कि कब रोना फायदेमंद है और कब नहीं:

रोना फायदेमंद है, जब:

आप किसी भावुक परिस्थिति से गुजर रहे हैं, जैसे कि किसी अपने या ख़ास की मौत, किसी रिश्ते का टूटना या कोई बड़ी कामयाबी मिलना। ऐसे में रोने से आपको अपने इमोशन्स को बाहर निकालने और मानसिक परेशानी को कम करने में मदद मिलती है।

आपको बहुत ज्यादा तनाव हो रहा है. रोना तनाव कम करने का एक प्राकृतिक तरीका है।

आपको बहुत तेज दर्द हो रहा है. आँसूओं में मौजूद दर्द निवारक तत्व थोड़ी देर के लिए आराम दिला सकते हैं।

रोना नुकसानदायक हो सकता है, जब:

आप हर छोटी-छोटी बात पर रोने लगते हैं।
आप किसी भी मुश्किल परिस्थिति का सामना करने के बजाय सिर्फ रोते रहते हैं।
रोने के बाद भी आपको अच्छा महसूस नहीं होता और आपका मूड बिगड़ जाता है।
अगर आपको लगता है कि आप बहुत ज्यादा रो रहे हैं या रोने की वजह से आपका दैनिक जीवन प्रभावित हो रहा है, तो डॉक्टर से सलाह लेने में कोई संकोच नहीं करना चाहिए।

रोने के बारे में मिथक-

हमारे समाज में रोने को लेकर कई तरह के मिथक फैले हुए हैं, खासकर पुरुषों के लिए। आइए, उन मिथकों को तोड़ते हैं:

मिथक 1: रोना कमजोरी की निशानी है।

वास्तविकता: रोना कमजोरी नहीं, बल्कि शरीर की एक प्राकृतिक प्रक्रिया है जो हमारे मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद है।

मिथक 2: सिर्फ दुख में ही रोना आता है।

वास्तविकता: हम खुशी, उत्तेजना या किसी भी तरह के मजबूत भावनात्मक अनुभव के दौरान भी रो सकते हैं।

मिथक 3: ज्यादा रोने से आँखें कमजोर हो जाती हैं।

वास्तविकता: उल्टा, रोना आँखों को साफ रखने और संक्रमण से बचाने में मदद करता है।

आँसू सिर्फ आँखों से निकलने वाला पानी नहीं है, बल्कि यह हमारे शरीर की एक जटिल प्रणाली का हिस्सा है। रोना न सिर्फ हमारे भावनाओं को व्यक्त करने का एक तरीका है, बल्कि यह हमारे मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य के लिए भी फायदेमंद है। इसलिए, जब भी आपको रोने का मन करे, तो रोने से न हिचकिचाएं। लेकिन अगर आप बहुत ज्यादा रोते हैं या रोने के बाद भी आपको अच्छा महसूस नहीं होता, तो डॉक्टर से सलाह जरूर लें।

याद रखें, स्वस्थ रहने के लिए खुश रहना जरूरी है, लेकिन कभी-कभी दुख का इज़हार करना भी उतना ही जरूरी होता है।

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